किसानों की राह में कांटे ?

Ravi Ranjan Goswami
1 min readFeb 3, 2021

जब नेताओं का अहंकार उनके कद से ऊँचा और जनहित से बड़ा हो जाता है तब जनता पीड़ित होती हैं। विडंबना तब ये भी होती है कि वे जनता के हक़ के लिए संघर्ष करें इसके बजाय जनता नेता के दम्भ को बनाये रखने के लिए लड़ती है। किसानों की भलाई सभी चाहते हैं। उनके खिलाफ बोलने का कोई साहस नहीं करता क्योंकि उन्हें अन्नदाता का दर्जा यानी देवों का दर्जा दिया गया है। और उनकी बुराई करना अधर्म लगता है।

लेकिन दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान जो उपद्रव हुए यहाँ तक की २६ जनवरी को लाल किले पर आंदोलन कारियों ने तिरंगे का अपमान किया और तोड़फोड़ और हिंसा की। आंदोलन कारियों का भरोसा और सम्मान कम हुए हैं।

आंदोलन कारियों के एक गु ट या आंदोलन कारियों में शामिल शरारती तत्वों से निबटने के लिए पुलिस ने इस बार बंदोबस्त बहुत तगड़ा किया है। कुछ किसान नेता सोच रहे हैं कि सरकार उनसे डरकर इतना तगड़ा बंदोबस्त कर रही है।कुछ इसे दमन बता रहे है। ये बदोबस्त किसानो में छुपे छद्म किसानों और आतंक वादियों के लिए है। पिछला अनुभव बताता है कि तथाकथित बड़े किसान नेता आंदोलन पर नियंत्रण नहीं रख पाए थे और आंदोलन में हुए उत्पात से अपना पल्ला झाड़ लिया था। जब आंदोलन कारी ट्रैक्टरों को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकते है तो इस तरह की सुरक्षा व्यवस्था ठीक ही है।

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Ravi Ranjan Goswami

An IRS officer and a poet and writer, who prefers to write poems in Hindi and other articles in Hindi and English. He is from Jhansi, and lives in Cochin India.